Monday, October 28, 2013

Ek ghazal

हर अहसास को कुचल हर ख्वाब को मिटा दिया
जिस गुलशन को बसाया तूने , उसमें कोई एक दरख़्त तो छोड़ दे

हाथ से प्याला मत छीन कि तूने फ़िर फरेब किया
मैं अपना मज़हब छोड़ दूंगा , तू अपना मज़हब छोड़ दे

तुझे जाना ही है ज़ालिम तो मेरा क़त्ल करके जा
यूं हँस के, तसल्ली दे के , जुदा होना छोड़ दे

मैं पहले बहुत खूबसूरत था , मोहब्बत  ने मुझे बिगाड़ दिया
मैं फ़िर मुस्कुराना शुरू कर दूंगा, तू मेरा मज़ाक बनाना  छोड़ दे

और खींच के थप्पड़ मारूंगा , शायर, अब जो मेरे सामने आए
इश्क़ खुदा  है, इश्क़ खुदा है, कहकर बहकाना छोड़ दे

और आज कुछ कड़ी , कुछ ज़यादा कह गया मैं
दिल ने कहा अब उनपर लिख ही दे, यूं डरना छोड़ दे