breathing grass
Tuesday, September 28, 2010
अक्सर ...
मुद्दे की बात छिड़ी . बकवास को भी बुलाया गया . बात से पहले बकवास पहुँच गयी और बहुत हो गयी . फिर वो लगी बात को दबाने उसे खाई में गिराने . ये सब शोरगुल सुनकर मुद्दा खड़ा हो गया और बड़ा हो गया .
बकवास बंद हो गयी और बात शुरू गयी .
1 comment:
Ankit Chadha
September 28, 2010 at 9:04 AM
bahut khoob
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bahut khoob
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