Friday, January 24, 2020

एक छोटी कहानी



बिना धुन के एक गीत
सदियों की वादियों में
अधमरा सा पड़ा था
एक सरगम ने उसकी कलाई को थामा
और उसके सीने पर रख कर कान
सुनी उसकी धड़कन
अब भी चल रही थी
मद्धम मद्धम
सरगम गीत के सभी बोलों में बिंध गई
खुद खो गई और गीत हो गई
फिर उस गीत का क्या क्या हुआ?
एक मुसाफ़िर ने उसे उठा लिया
और अपनी अंटी में छुपा लिया
और किसी शाम अपने क़बीले में गुनगुना लिया
फिर किसी आशिक़ ने
गीत को बना कर कोई फ़ूल
अपनी लैला के बालों में लगा दिया
खुशबू बन कर गीत बह गया हवाओं के साथ
और बरस गया मिट्टी पर बनकर बरसात
गीत के बोल बदले, ताल बदली
पर नहीं बदली उसके दिल में बसी सरगम
गीत में थी सरगम, सरगम ही से था गीत हरदम

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