Monday, June 23, 2025

एक बात

मैं तुम्हें समझना चाहता हूँ 
पर तुम मुझे समझ नहीं आती 

हँस, मुस्कुरा, खुश रहा कर
मेरे भेजे में ये इतनी बात नहीं आती

कुछ किया और होता तो रुक जातीं मेरी माँ
एक ये बात दिल से निकल नहीं पाती 

अब सिर्फ़ वहीं सुख़न फ़हम हैं इस शहर में
जिन्हें मेरी ग़ज़लें पसंद नहीं आती

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